इम्यूनोथेरेपी: कैंसर के खिलाफ एक नई आशा | डॉ. प्रतिक पाटील

Author: Pratik Patil
क्या होती है इम्यूनोथेरेपी, जिससे छह महीने में ही हो गया कैंसर का इलाज़

इम्यूनोथेरेपी देने से पहले मरीजों के कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं. इन टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर ही तय किया जाता है कि मरीज को थेरेपी दी जाएगी या नहीं.

अमेरिका में हुई एक रिसर्च में इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy) के माध्यम से डॉस्टरलिमैब दवा ( #Dosterlimab Cancer medicine) के जरिए रेक्टल कैंसर के 18 मरीज छह महीने में ही इस गंभीर बीमारी से रिकवर हो गए हैं. कैंसर के इलाज़ में डॉस्टरलिमैब को एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. इस मेडिसिन से बिना सर्जरी के ही मरीजों का कैंसर पूरी तरह खत्म हो गया है. इस रिसर्च के बाद इम्यूनोथेरेपी को लेकर डॉक्टर काफी उत्साहित हैं. इम्यूनोथेरेपी और डॉस्टरलिमैब ने कैंसर के इलाज़ में उम्मीद की एक किरण जगाई है. हालांकि अभी कुछ और साल इन मरीजों के स्वास्थ्य पर नजर रखने की जरूरत है. तभी कैंसर के इस इलाज़ को सफल माना जाएगा.

अमेरिका में हए इस ट्रायल के बाद इम्यूनोथेरेपी की काफी चर्चा हो रही है.आमतौर पर लोगों को कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की जानकारी होती है, लेकिन कम लोग ही ये जानते हैं कि भारत में भी कई सालों से इम्यूनोथेरेपी का प्रयोग कैंसर के इलाज़ में किया जा रहा है.

पुणे शहर मे पिछले करीब तीन सालों से कैंसर मरीजों पर इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है. हर प्रकार के कैंसर के रोगियों को यह थेरेपी दी जाती हैं.

क्या होती है इम्यूनोथेरेपी?

डॉ. प्रतिक पाटील ने बताया कि कुछ कैंसर ऐसे होते हैं, जो शरीर में फैलते हैं, लेकिन इन्हें फैलाने वाली सेल्स खुद को छिपा लेती है और इम्यून सिस्टम इन सेल्स को पहचान नहीं पाता है. जिससे कैंसर शरीर में पनपता रहता है. इम्यूनोथेरेपी में कुछ दवाएं दी जाती हैं. इनके जरिए शरीर का इम्यून सिस्टम कैंसर फैलाने वाली सेल्स को पहचानकर उन्हें नष्ट कर देता है. ये थेरेपी चेकपॉइंट अवरोधक का काम करती है. इसकी मदद से कैंसर फैलाने वाले सेल्स उजागर हो जाती हैं और इम्यून सिस्टम उनसे लड़ता है. ये थेरेपी रेक्टल कैंसर, लंग्स कैंसर और ओरल कैंसर में मुख्य रूप से दी जाती है|

कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी में अंतर

डॉ. प्रतिक पाटील #drpratikpatil ने बताया कि इम्यूनोथेरेपी को एक ड्रिप के जरिए इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है. वहीं, कीमोथेरेपी में कुछ कैमिकल स्लाइन और दवाओं के माध्यम से शरीर में छोड़े जाते हैं. आमतौर पर इम्यूनोथेरेपी के कुछ साइडइफेक्टस नहीं देखे जाते हैं, लेकिन कीमोथेरेपी में केंसर सेल्स के अलावा शरीर की अन्य कुछ सेल्स भी नष्ट हो जाती है. इस वजह से कीमोथेरेपी लेने वालों में वजन का काम होना औरबालों का झड़ना जैसी परेशानियां देखी जाती है|

एमएसआई टेस्ट किया जाता है

डॉ. प्रतिक पाटील ने बताया कि इम्यूनोथेरेपी देने से पहले मोलिक्यूलर टेस्ट किया जाता है. इसे एमएसआई टेस्ट भी कहते हैं. इस टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर ही तय किया जाता है कि मरीज को इम्यूनोथेरेपी दी जाएगी या नहीं. डॉ. के मुताबिक, अमेरिका में रैक्टल कैंसर से पीड़ित जिन मरीजों पर ट्रायल हुआ था ऐसा अनुमान है कि उन सबका एसएमाई टेस्ट हुआ था, जिसमें सबकी रिपोर्ट सही आई थी. इसके अलावा सीएआर टी कोशिका थेरेपी का प्रयोग भी किया जाता है. इसमें टी सेल्स कैंसर की सेल्स को पहचानने के लिए तैयार की जाती हैं. कुछ मरीजों में इस थेरेपी का भी इस्तेमाल किया जाता है|

हर स्टेज में किया जाता है उपयोग

डॉक्टर प्रतिक पाटील ने बताया कि अलग-अलग कैंसर के मरीजों पर इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल भी किया जाता है. जैसे सर्वाइकल कैंसर में ये थेरपी तब दी जाती है जब किसी मरीज में दोबारा से ये कैंसर वापिस आ जाता है. ओरल कैंसर में चौथी स्टेज में ये इम्यूनोथेरेपी दी जाती है. अब इस थेरेपी को लेकर कैंसर के इलाज़ में एक नई उम्मीद जगी है, हालांकि जब तक अमेरिका में हुए ट्रायल के सभी चरण पूरे नहीं हो जाते और इसके परिणाम अच्छे नहीं आते. तब तक डॉस्टरलिमैब दवा को मरीजों पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. उम्मीद है कि सभी लेवल के ट्रायल सफल रहें और दुनिया को कैंसर का इलाज़ मिल जाए.