Garhwali brahmin surname
- नौटियाल - संवत 945 में नौटियाल जाति के सरोला लोग धार मालवा से राजा कनकपाल के साथ आकर तल्ली चांदपुर के नौटी गांव में बस गए। नौटियाल जाति के लोगों के बसने के कारण ही इस गांव का नाम नौटी गांव पड़ा। नौटियाल जाति के वंशजों का आरम्भ इसी गांव से माना जाता है। जो कि राजा कनकपाल के साथ आयी थी। ढंगाण, पल्याल, मंजखोला, गजल्डी, चान्दपुरी, बौसोली नामक छह जाति संज्ञा इसी एक जाति की शाखा हैं।
- सेमल्टी - इतिहासकार पं हरिकृष्ण रतूड़ी जी के अनुसार, इनके आदि पुरुष संवत 965 में वीरभूम, बंगाल से गढ़वाल के सेमल्टा गांव में आकर बसे थे। सेमल्टा गांव के निवासी होने के कारण ये सेमल्टी कहलाए।
- मैटवाणाी - 975 में गढ़वाल चांदपुर गढ़ी के मैटवाणा नामक गांव में आकर बसे। इस जाति के मूल पुरुष रूपचंद त्र्यम्बक थे।
- तैलवाल - तैलवाल कान्यकुब्ज ब्राह्मण है ये पश्चिमी-मध्यभारत से आकर 1600 संवत में गढ़वाल के तैला गांव में बस गए जिससे इनका नाम तैलवाल पड़ा. पं० रामानंद इनके मूल पुरुष थे।
- सुयाल - सुयाल जाति के ब्राह्मणों के मूलपुरुष दजल और बाज नारायण गुजरात से आकर गढ़वाल के सुई गांव में बसे और यहीं के निवासी हो गए
अन्थ्वाल/अणथ्वाल : अणथ्वाल सारस्वत ब्रह्मण हैं। 1612 में पंजाब से गढ़वाल के अणेथ गांव में आए और तत्पश्चात यहीं के निवासी हो गए। अणथ्वाल जाति के लोग मूलतः अफगानिस्तान मूल के माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि अणथ्वाल नाम की एक जाति लाहौर, पाकिस्तान में भी रहती है, जो वहां के हिन्दू मंदिरों की पूजा सम्पन्न कराने का काम करती है।
जुगराण/जुगड़ाण- पांडे मूल वंश के जुगराण नामक गंगाड़ीब्राह्मण कुमाऊं से संवत 1700 में गढ़वाल आए और यहां के जुगड़ी नामक गांव में बसने के कारण जुगड़ाण और बाद में जुगराण कहलाए।
मालकोटी - गौड़ सरोला ब्राह्मण मालकोटी संवत 1700 मेंअज्ञात स्थान से आकर गढ़वाल के मालकोटी गांव में बस गए और मालकोटी नाम से प्रचलित हुए। इनके मूल पुरुष बालकदास थे।
बलोदी - दविड़ वंश गंगाड़ी ब्राह्मण बलोदी संवत 1400 में दक्षिण भारत से आकर गढ़वाल के बलोद नामक गांव में बसने के कारण बलोदी कहलाए।
घनसाला/घणसाला : घणसाला गौड़ ब्राह्मण जाति के लोगसंवत 1600 में गुजरात से आकर गढ़वाल के घनसाली अथवा घणसाली नामक गांव में बसने के कारण घनसाला